*सौभाग्य सिंदूर*


प्रियवर मांग सजा,तुमने प्यार जो लुटाया है।


कनक मुदरी से मानो,पिया दिल में समाया है।


सखी सहेलियां पुलकित, मैने प्रेम रतन धन पाया है।


मांग में सिंदूर पिया ने, जब प्रेम से लगाया है।


झुकी हुई पलके ये बयान कर रही है।


सिंदूर मिलन है या, दिल - दिल से मिलाया है।


होठों की लालिमा बार बार कह रही है।


मस्तक पर तेरे हाथ से, सौभाग्य मैने पाया है।


लाल सिंदूर संग लाल चुनरिया,

पीत वस्त्रों ने आज सबको लुभाया है।


सिंदूर की रस्म पूरी हो गई पिया,

ये मेरा सौभाग्य,तुमने संगिनी बनाया है। 



राजीव गिरि 

निवासी बरेली उत्तर प्रदेश

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