🌟 साहित्य कमल की प्रस्तुति 🌟
काव्य रचना प्रतियोगिता
तिथि: १४ मई से २४ मई २०२५ तक
विषय: “शिक्षक और शिष्य”
पंक्तियाँ: अधिकतम २० से २५ पंक्तियाँ
प्रवेश शुल्क: ₹५० प्रति प्रतिभागी
पुरस्कार: प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त रचनाकारों को सम्मान स्वरूप धनराशि प्रदान की जाएगी।
प्रस्तुति का माध्यम: अपनी रचना ब्लॉग पर टिप्पणी (कमेंट) के रूप में प्रस्तुत करें।
सादर आमंत्रण
गुरु और शिष्य का संबंध भारतीय संस्कृति की आत्मा है।
गुरु वह दीप है जो अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करता है,
और शिष्य वह पात्र है जो उस प्रकाश को ग्रहण कर जीवन को सार्थक बनाता है।
"साहित्य कमल" आप सभी साहित्यप्रेमियों एवं कवि-हृदयों को आमंत्रित करता है
कि आप इस पावन संबंध पर अपनी मौलिक, भावपूर्ण कविता द्वारा
गुरु-शिष्य परंपरा को शब्दांजलि अर्पित करें।
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प्रतियोगिता के नियमावली:
कविता हिंदी भाषा में हो।
रचना मौलिक एवं अप्रकाशित हो।
विषय “शिक्षक और शिष्य” से संबंधित हो।
अधिकतम २५ पंक्तियाँ स्वीकार्य होंगी।
प्रतियोगिता सशुल्क है — ₹५० प्रति प्रतिभागी।
रचना ब्लॉग पर टिप्पणी के रूप में भेजी जाए।
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आइए,
अपने शब्दों से करें गुरु को वंदन,
और शिष्यत्व की गरिमा को दें काव्य में स्थान।
कहें —
"गुरु है ज्ञान का सागर, शिष्य उसकी धार।
दोनों के मेल से बनता है जीवन का सार।"
पेमेंट नंबर 9837045873
श्री चित्रगुप्त क्रिएशंस
सप्रेम – सादर – सश्रद्धा
🙏🌷
अति उत्तम विषय
ReplyDeleteजी धन्यवाद
ReplyDeleteशिक्षक और शिष्य
ReplyDeleteशिक्षक है दीपक ज्ञान का
जो करता है पथ आलोकित
कहता है डटे रहना
आंधी व तूफान में।
शिक्षक है वह साज, वह गीत
जिसकी सीख, जिसके बोल
देते हैं साथ शिष्य का
जिंदगी के हर मोड़ पर ।
शिक्षक मिलता है
एक नहीं, कई रूपों में
चर_अचर प्रकृति में
नदी, सागर व झरने में
पेड़ _पौधों व फूलों में
पशु _पक्षी व पतंगों में ।
देते हैं जो ज्ञान शिष्य को
पर उपकार का ,समय नियमन का
हंसने व हंसाने का
धीरज धरने का
शिक्षक है एक प्रेरणा
प्रेरित होकर जिससे रच जाते
बच्चे इतिहास नया
जो कहता है रहना निरंतर कर्मरत
पर रखना भाव निष्काम सदा
पार तुझे ले जाएगा
यही भाव निष्काम का।
डॉ मंजुला पांडेय