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माँ सरस्वती को समर्पित

तेरे बिना ,न रूप है, न ज्ञान है । शिक्षा के क्षेत्र में , तू करती कल्याण है । सरस्वती माँ विद्यादायिनी है तू, शिक्षा जगत में, तेरा सम्मान है । तेरे बिना शिक्षा अधूरी, तेरे बिना संगीत अधूरा । विद्यार्थी और शिक्षक दोनो के लिए तू ही वरदान है माँ तू ही वरदान है                          राजीव गिरि

तेरी यादें, मेरी बेचैनी

( एक शाम आशिक के द्वारा माशूका की याद में लिखी गयी लाइनें) शाम ढलने लगी है ,कुछ इस तरह, चारो तरफ है,धुँआ ही धुँआ । शाम .......................... बादलों का समां है,कुछ इस तरह, मेघों ने,बरसना शुरू कर दिया । शाम ......................... अब तो थमने लगा है पहर शाम का, तारों ने चमकना, शुरू कर दिया । शाम ........................ चाँदनी रात छत पर चलती हुई, मुस्कुराती हुई,खिलखिलाती हुई रात बढ़नें लगी है, कुछ इस तरह, चारो तरफ है शमां खुशनुमां । आ जाओ सनम, अब तो कर लो मिलन रात का ये समां, वरना थम जायेगा । रात बढने ............... अब तो थमने लगा है पहर रात का, न सोचा था, दिल टूट के,यूँ बिखर जायेगा । रात बढ़ने लगी है, कुछ इस तरह, दिल जलता हुआ,सब बिखरता हुआ ।                                                राजीव गिरि